Monday, December 31, 2018

यूपी रत्न व मेरठ रत्न से सम्मानित समाज सेविका श्रीमती सरिता कर्दम जी युवा बेरोजगार आन्दोलन के महिला प्रकोष्ठ से राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोनीत

30 दिसंबर 2018 को युवा बेरोजगार आंदोलन की बैठक यूपी रत्न व मेरठ रत्न समाज सेविका श्रीमती सरिता कदम जी के निवास 326 नई बस्ती लल्लापुरा साबुन गोदाम मेरठ यूपी पर हुई आयोजित की गई जिसमें युवा बेरोजगार आंदोलन के प्रधान सेवक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल कुमार विश्वकर्मा जी ने मनोनीत पत्र देकर श्रीमती सरिता कर्दम जी को महिला प्रकोष्ठ से राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोनीत किया और कहा कि महिला ही महिला का दर्द बखूबी समझती है इसलिए महिलाओं की आवाज बुलंद करने के लिए श्रीमती सरिता कर्दम जी को मनोनीत किया गया है इस मौके पर मेरठ महानगर अध्यक्ष दिनेश गुप्ता जी ने कहा कि हम युवाओं के हक के लिए यह आंदोलन चला रहे हैं हम युवा बेरोजगारों को रोजगार व असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे कामगारों के लिए न्यूनतम वेतन लागू करने की मांग सरकार से कर रहे हैं
   युवा बेरोजगार आन्दोलन.........................जिंदाबाद

Friday, December 28, 2018

पप्पू जाटव को युवा बेरोजगार आंदोलन जिला मेरठ से महानगर महामंत्री मनोनीत किया

आज 28 दिसम्बर शुक्रवार को युवा बेरोजगार आंदोलन के कैंप कार्यालय इन्द्रानगर प्रथम ब्रह्मपुरी मेरठ पर एक बैठक का आयोजन किया गया l जिसमें युवा बेरोजगार आंदोलन के प्रधान सेवक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल कुमार विश्वकर्मा जी ने कहा कि अब समय आ गया है l जब युवा बेरोजगारों को रोजगार व असंगठित क्षेत्र मे अकुशल कामगारों के लिए न्यूनतम वेतन लागू करने की मांग को और जोर जोर से उठाना होगा l इन मांगों को लेकर हम पूरे भारत में आंदोलन को और तेज करेंगे l जब देश की राजधानी दिल्ली के असंगठित क्षेत्र मे अकुशल कारीगरों के लिए न्यूनतम वेतन लागू हो सकता है l तो पूरे भारत में क्यों नहीं हो सकता l
प्रधान सेवक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देश पर मेरठ महानगर अध्यक्ष दिनेश गुप्ता जी ने पप्पू जाटव जी को मनोनीत पत्र देकर महानगर महामंत्री मनोनीत किया l पप्पू जाटव जी को महानगर महामंत्री मनोनीत किए जाने पर सभी ने तालियां बजाकर उनका स्वागत किया l
बैठक में अंकित विश्वकर्मा , रवि प्रकाश , राकेश गुप्ता , दिनेश गुप्ता , पप्पू जाटव , डॉक्टर अनिल कुमार , रंजन विश्वकर्मा , सुरेश आदि उपस्थित रहे l

Thursday, November 29, 2018

सरकारी भांग के ठेकों पर खुलेआम बिक रहा गांजा

     *सरकारी भांग के ठेकों पर खुलेआम बिक रहा गांजा*
मेरठ :- सरकारी भांग के ठेकों पर खुलेआम बिक रहा गांजा और जिम्मेदार अधिकारी रोकने में नाकाम I यहां अक्सर युवाओ की भीड लगी रहती है I और युवा इन मादक पदार्थो का प्रयोग भी करते हैं I  जिससे युवाओ का भविष्य खराब हो रहा है I लेकिन इन मादक पदार्थों की बिक्री नहीं रुक पा रही है I

Friday, May 18, 2018

खुशखबरी: सातवें वेतन के एरियर का शासनादेश जारी, इस तारीख तक होगा भुगतान

प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों, शिक्षकों और पेंशनरों को सातवें वेतनमान में पुनरीक्षित वेतन के बकाए का 50 प्रतिशत हिस्सा 30 जून तक मिल जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सहमति मिलने के बाद सचिव वित्त अलकनंदा दयाल ने शुक्रवार को इस संबंध में शासनादेश जारीप्रदेश के करीब 26 लाख सरकारी कर्मचारियों, शिक्षकों, शिक्षणेतर कर्मियों, पेंशनरों आदि को सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों के अनुरूप एक जनवरी 2016 से पुनरीक्षित वेतन का भुगतान होना है।
 कर दिया।

Saturday, May 12, 2018

रणबीर कपूर के साथ डेटिंग की अफवाहों पर आलिया भट्ट ने कही बड़ी बात

बॉलीवुड

रणबीर कपूर के साथ डेटिंग की अफवाहों पर आलिया भट्ट ने कही बड़ी बात

Image Source: Google
(प्रेस विज्ञप्ति) नई दिल्ली। बॉलीवुड अभिनेत्री आलिया भट्ट ने कहा है कि वह अपने सह अभिनेता रणबीर कपूर के साथ रिश्ते की बात से 'न तो इनकार करती हैं और न ही इसे स्वीकार करती हैं'। रणबीर के साथ आलिया के कथित रिश्तों को लेकर अफवाहों का दौर इस साल के शुरुआत में उस समय शुरू हुआ जब उनकी आनेवाली फिल्म 'ब्रह्मास्त्र' की शूटिंग शुरू हुई। 'आप की अदालत' शो में आलिया भट्ट ने इंडिया टीवी के मुख्य सम्पादक रजत शर्मा से कहा, 'मैं अपने व्यक्तिगत जीवन के बारे में सार्वजनिक तौर पर बात करना पसंद नहीं करती। अगर मेरे बारे में अफवाहें हैं तो मुझे इनसे प्रभावित नहीं होना चाहिए। अगर इन अटकलों में कुछ सच्चाई है तो फिर जाहिर है कि इससे मुझे परेशान नहीं होना चाहिए। न ही मैं इसे स्वीकार करना चाहती हूं और न ही इसे इनकार करूंगी।'
उन्होंने कहा, 'फिर भी अगर खबरें किसी भी मायने में सही नहीं है तो जाहिर तौर पर मैं खुद को स्पष्ट करने के लिए लोगों के बीच आऊंगी। लेकिन मेरे रिश्तों को लेकर सार्वजनिक तौर पर अगर अफवाहें फैलाई जाती हैं तो यह मुझे कतई मंजूर नहीं है।' आलिया से जब सीधे तौर पर रणबीर कपूर से उनकी गहरी दोस्ती के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'जैसा कि मैं कह चुकी हूं, मैं इसे न तो इनकार करूंगी और न ही स्वीकार करूंगी' रणबीर कपूर जैसे साथी कलाकार के बारे में आलिया ने कहा, 'वे बड़े प्रतिभावान कलाकार हैं। साथ में काम करने के बाद मैं उन्हें अच्छी तरह से जान पाई। वे एक बेहतरीन इंसान हैं जिनसे मैं अपने जीवन में मिली हूं। वे सेट्स पर और उसके बाहर भी बेहद शांत और आराम से रहते हैं।' हाल में आई मेघना गुलजार की फिल्म 'राजी' में अभिनय करनेवाली इस 25 साल की अभिनेत्री ने अपने व्यवसायिक और व्यक्तिगत जीवन के कई पहलुओं पर बात की। उन्होंने अपनी ताजा फिल्म 'राजी' को लेकर भी खुलकर बात की और बताया कि 1971 भारत-पाक युद्ध पर बनी इस स्पाई थ्रिलर के निर्माण के दौरान क्या कुछ हुआ। यह फिल्म 11 मई को रिलीज हुई है।
 
 
हाल में आलिया ने जोया अख्तर की आने वाली फिल्म 'गली ब्वॉय' के लिए पद्मावत के अभिनेता रणवीर सिंह के साथ शूटिंग पूरी की है। रणवीर जैसे अभिनेता के साथ काम करने के अनुभव को याद करते हुए आलिया ने कहा, 'रणवीर के अंदर गजब की ऊर्जा है। वह अपने काम को लेकर काफी जागरूक और मेहनती हैं। 'पद्मावत' देखने के बाद मैंने उन्हें काफी अलग रूप में देखना शुरू किया।' बॉलीवुड के बेहद अनुभवी निर्देशक महेश भट्ट की बेटी आलिया ने अपने अबतक के छोटे और सफल करियर में कुल 10 फिल्मों में काम किया जिसमें से 9 फिल्में हिट रहीं। एक फिल्म जो कि बॉक्स ऑफिस पर बढ़िया नहीं कर पाई वह वर्ष 2015 में रिलीज फिल्म'शानदार' थी जो उन्होंने शाहिद कपूर के साथ की थी। आलिया ने खुलासा किया कि 'शानदार' की असफलता से वे बुरी तरह टूट गई थीं। यह फिल्म न तो क्रिटिक्स के स्तर पर बढ़िया कर पाई थी और न ही व्यवसायिक तौर पर यह सफल रही।
 
 
'राजी को मिलाकर मैंने कुल 10 फिल्में की है। फिल्म 'शानदार' को छोड़कर सभी फिल्मों ने अच्छा किया। 'शानदार' दर्शकों का दिल जीतने में सफल नहीं रही। इस फिल्म की असफलता से मेरा दिल बुरी तरह से टूट गया था। लेकिन मेरे पापा ने मुझे एक बार फिर मजबूती से वापसी के लिए कहा। फिर मैंने अपने आप को हौसला दिया और कपूर एंड संस,उड़ता पंजाब और डियर जिंदगी जैसी फिल्मों से वापसी की।' आलिया ने फिल्म 'राजी' में भारतीय जासूस सहमत की भूमिका अदा की है। फिल्म समीक्षकों द्वारा राजी में आलिया के अभिनय को अबतक के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के रूप में पेश किया जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ वह अगले साल रिलीज होनेवाली फिल्म गली ब्वॉय में भी दिखेंगी। इसके अलावा वह अयान मुकर्जी की ब्रह्मास्त्र में मेगास्टार अमिताभ बच्चन के साथ काम कर रही हैं।'आप की अदालत' में आलिया भट्ट का प्रसारण आज रात शनिवार 10 बजे इंडिया टीवी पर होगा। इस शो को रविवार 13 मई सुबह 10 बजे और रात में 10 बजे फिर से प्रसारित किया जाएगा। 

चिदंबरम परिवार ने कालेधन के आरोप पत्र को बताया ‘आधारहीन आरोप’

चेन्नई। पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम के परिवार का कहना है कि कालाधन कानून के तहत आयकर विभाग द्वारा उनके खिलाफ दायर आरोप पत्र ‘आधारहीन आरोप’ है। इनका कहना है कि विदेशों में जिस निवेश को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं उन्होंने उसे अपने आयकर रिटर्न में दर्शाया है। आयकर विभाग की कार्रवाई पर चिदंबरम की पत्नी नलिनी और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम, बहु श्रीनिधि और एक कंपनी चेस ग्लोबल एडवाइजरी सर्विसेस प्राइवेट लिमिटेड के चार्टड अकांउटेंटों ने अलग-अलग जवाब दाखिल किए थे।
चिदंबरम परिवार ने कालेधन के आरोप पत्र को बताया ‘आधारहीन आरोप’आज जारी दो बयानों में कहा गया है, ‘आयकर रिटर्न के कागजात चार्टड अकांउटेंटों की सलाह से तैयार किए गए और भरे गए। जिस निवेश पर प्रश्न खड़े किए जा रहे हैं उनका भुगतान बैंक रेमिटेंस के माध्यम से किया गया और आयकर कानून की धारा 139 के तहत रिटर्न में इनका उल्लेख किया गया।’ बयान के अनुसार, ‘यह आरोप सरासर गलत है कि निवेश की जानकारी को जानबूझकर छिपाया गया। आय का रिटर्न इन आधारहीन आरोपों का पूरा जवाब है।’
बयान में कहा गया है कि आयकर विभाग द्वारा कल चेन्नई की अदालत में दाखिल आरोप पत्र पर विधि सम्मत कदम उठाया जाएगा। उल्लेखनीय है कि कल चेन्नई की एक विशेष अदालत में विभाग ने कालाधन (विदेश से आय और परिसंपत्ति को उजागर नहीं करना) कानून की धारा -50 और कर अनुपालन कानून -2015 के तहत चार आपराधिक शिकायतें दाखिल की हैं। 
 
नलिनी चिदंबरम, कार्ति, श्रीनिधि और कार्ति से जुड़ी एक कंपनी चेस ग्लोबल के खिलाफ यह शिकायत दर्ज करायी गई। उन पर ब्रिटेन के कैंब्रिज के बार्टन में 5.37 करोड़ रुपये की एक अचल संपत्ति, ब्रिटेन में ही 80 लाख रुपये की संपत्ति और अमेरिका में 3.28 करोड़ रुपये की परिसंपत्ति के कथित तौर पर खुलासा नहीं करने का आरोप है।

कर्नाटक को कभी सूट नहीं करती क्षेत्रीय राजनीति और इससे उपजे दल

अब इसे सौभाग्य समझें या दुर्भाग्य, कर्नाटक में क्षेत्रीय दलों का बोलबाला कभी नहीं रहा, बल्कि राष्ट्रीय प्रवृति के दल ही यहां की राजनीति में हावी रहे। कांग्रेस के अलावा जनता पार्टी, जनता दल और बीजेपी भी राष्ट्रीय पार्टी ही मानी गई। हां, समाजवादी दलों में किसी मजबूत राष्ट्रीय नेता के अभाव में क्षेत्रीय दल जरूर उभरे और राज्यविशेष पर काबिज रहे। कर्नाटक में जेडीएस की वही स्थिति है जो बिहार में राजद-जदयू, यूपी में सपा, हरियाणा में इंडियन लोकदल जैसे समाजवादी दलों की है। कुछ अन्य क्षेत्रीय दल भी हैं, लेकिम वो महज नाम के हैं। उनका कोई मजबूत जनाधार नहीं है। वो राष्ट्रीय पार्टियों के मजबूत नेताओं के मुखौटे समझे जाते हैं अंदरूनी तौर पर।
कर्नाटक को कभी सूट नहीं करती क्षेत्रीय राजनीति और इससे उपजे दलयह बात दीगर है कि कांग्रेस अब अपने निहित सियासी स्वार्थों के लिए कर्नाटक में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) जैसे आतंकी संगठनों को न केवल बढ़ावा दे रही है, बल्कि उनके साथ चुनाव भी लड़ रही है। गौरतलब है कि झारखंड में पीएफआई को पहले ही प्रतिबंधित किया जा चुका है, लेकिन कर्नाटक में पीएफआई और एसडीपीआई मुस्लिम मतों की गोलबन्दी में जुटी है।

 

दरअसल, संस्कृति समूचे भारत को एक सूत्र में पिरोती है। दक्षिण के लोग तीर्थाटन के लिए काशी जाते हैं, तो उत्तर के लोग रामेश्वरम आते हैं जो कि एक तरह का सांस्कृतिक बंधन है। लेकिन क्षेत्रीय दलों ने उन्हें बांट दिया। यह कह कर लोगों को बरगलाया जा रहा है कि कि फलां हिंदी भाषी पार्टी है, जो उनकी जनभावनाओं का ख्याल नहीं रख सकती। ये दल अपनी अपनी सभाओं में साफ कहते हैं कि फलां फलां उत्तर भारत की पार्टी है जिसे यहां अपने पैर नहीं जमाने देना है।
लेकिन अब धीरे-धीरे लोग जान गए हैं कि सभी क्षेत्रीय दलों ने उन्हें धोखा दिया है। वाकई क्षेत्रीय दल राष्ट्रीय विचारधारा वाली पार्टी के खिलाफ लोगों के मन में जहर घोल रहे हैं, पर वह दौर खत्म हो गया है। अब लोगों को क्षेत्रीय दलों से कोई खास उम्मीद नहीं रह गई है, क्योंकि वे जान चुके हैं कि उन्हें लंबे समय तक ठगा गया। मैं कई क्षेत्रीय पार्टियों के कम से कम 200 बड़े नेताओं को जानता हूं जिनके बच्चे हिंदी स्कूल में पढ़ रहे हैं। ये वही लोग हैं जो हिंदी के नाम पर जहर उगलते रहे हैं।
महत्वपूर्ण बात यह है कि कर्नाटक में राष्ट्रवादी विचारधारा तेजी से पनप रही है जो बहुत अच्छा बदलाव है। कमोबेश कर्नाटक समेत पूरे दक्षिण भारत में क्षेत्रीय दलों के प्रति लोगों का रुझान घट रहा है, जिससे वे सिकुड़ते जा रहे हैं। इस बात में कोई दो राय नहीं कि क्षेत्रीय दलों ने भाषा के आधार पर तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश को अलग-थलग रखा। कर्नाटक में भी क्षेत्रीय दलों ने लोगों को अंधेरे में रखा, जिससे उनका मोह भंग हो चूका है।
लिहाजा अब वे राज्य के दायरे से बाहर निकल कर देशहित के बारे में सोचने लगे हैं। यह बात कांग्रेस और भाजपा के पक्ष में जा रही है। चूंकि क्षेत्रीय पार्टियों का झूठ उजागर हो गया है, इसलिए कर्नाटक की ईसाई आबादी भी अब अन्य दलों की ओर देख रही है, जिन्हें अन्य दल भी ज्यादा तरजीह और सियासी पद दोनों दिए जा रहे हैं।